“इंकलाब की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है”

जब आप किसी व्यक्ति के वास्तविक विचारों से परिचित नहीं होते हैं तो अनजाने में ही गलती कर बैठते हैं। ऐसी ही गलती मेरे एक मित्र ने भगत सिंह की तुलना बुरहान वानी से करके की।(जैसे भगत अपनी मातृ भूमि के लिए लड़ रहा था वैसे ही बुरहान भी अपने civic nationalism ke liye) भगत सिंह के हाथ में बंदूक और मूंछ में ताव देने वाली फोटो की जगह विचारों को पढ़ लिया होता तो यह गलती नहीं करते।

भगत सिंह एक क्रांतिकारी राष्ट्रवादी थे लेकिन आज के बुरहान वानी लोग आतंकवादी हैं। आतंकवाद का मतलब है 9/11। आतंकवाद का मतलब है लोगों में खौफ का माहौल बनाना, मासूम बेकसूर लोगों का कत्लेआम करना।

आतंकवादियों के पास आगे का कोई विजन नहीं था।क्रांतिकारी राष्ट्रवादी भगत सिंह जैसे युवाओं के पास राष्ट्र निर्माण का एक मॉडल था। यह मॉडल समाजवाद और पंथनिरपेक्षता पर टिका हुआ था। बताइए क्या भगत सिंह सिख राज्य के लिए लड़ रहे थे? नहीं

वह पूरे भारत की अवाम के लिए लड़ रहे थे उनके लिए भारत भूमि का टुकड़ा नहीं था उनके लिए भारत, भारत के अंदर रहने वाले लोग थे।

भगत सिंह अपनी प्रेरणा देश से लेते हैं वह समाजवादी होने के बावजूद सोवियत रूस से निर्देश नहीं लेते थे उनकी प्रेरणा गणेश शंकर विद्यार्थी और चंद्रशेखर आजाद से नेता थे। बुरहान को निर्देश कहां से मिलता था?

उनके जोश तर्क था ऐसा तर्क जो हर प्रकार के शोषण को खारिज करता था चाहे वह धार्मिक हो या सामाजिक।

भगत सिंह ने कहा था कि मेरी लड़ाई ऐसे शोषण के विरुद्ध हैं जिसमें मानव के द्वारा मानव का शोषण किया जाता है।

विदेशी और देशी दोनों शोषण के खिलाफ हूं क्या धर्म की आड़ में लड़ने वाले यह आतंकवादी धर्म के ठेकेदारों के माध्यम से शोषण नहीं करेंगे?

भगत सिंह ने एक बार कहा था मैं बम और पिस्टल की राजनीति में विश्वास नहीं रखता भगत की हिंसा अल्पकालिक थी। सैंडर्स की हत्या के बाद में कोर्ट में बयान देते हुए कहा था कि हम सैंडर्स की हत्या नहीं करना चाहते थे लेकिन इसलिए हत्या करनी पड़ी क्योंकि उन्होंने लाला लाजपत राय की पीट पीट कर हत्या की थी।

भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त असेंबली में बम फोड़ कर बहरों के कान में आवाज पहुंचाना चाहते थे उसी समय लाहौर की उस असेंबली में जॉन साइमन बैठे थे। जो साइमन कमीशन के अध्यक्ष थे परंतु उनके पास में विट्ठल भाई पटेल बैठे थे इसलिए भगत ने गोली नहीं चलाई और सदन में गिरफ्तारी के समय कहा कि मैं साइमन को मार देता लेकिन उसके पास में विट्ठल भाई पटेल बैठे थे।

एक बार रेल से वायसराय इरविन सफर कर रहे थे भगत सिंह और उनके साथियों ने उन्हें पटरी पर ही उड़ाने का प्लान बनाया परंतु फिर रोक दिया गया क्योंकि उन्हें लगा बेकसूर लोगों की हत्या करना गुनाह है।

इन उदाहरण से समझ सकते है कि भगत सिंह और उनके साथियों का लक्ष्य आम जनमानस की हत्या करना नहीं था। बताओ बुरहान वानी के बंदूक से निकली गोली किसकी जान ले रही थी?

महसूस करिए दर्द को

भगत सिंह लोगों की शक्ति में विश्वास करता था इसलिए ‘नौजवान भारत सभा’ का गठन किया था बुरहान हिज्बुल मुजाहिदीन का सदस्य था। कहां का है यह संगठन? उद्देश्य क्या है? (इसके शायद जवाब नहीं होगा.)

भारत के वीर क्रांतिकारी सपूत अन्य राष्ट्रवादियों से अलग नहीं रहें, दोनों पिलर भारत के स्वतंत्रता संग्राम को लेकर खड़े थे उनको अलग करने वाली कोई लकीर भी नहीं थी। क्या कश्मीर के आज के नेता बुरहान के साथ है?

क्रांतिकारी, मोहनचंद के गांधी को महात्मा कहते थे तो वही बापू उन्हें भटके हुए राष्ट्रभक्त। क्या ऐसा ही सम्मान शेख अब्दुल्ला और बुरहान वानी के बीच में था।

भगत सिंह ने जो किया उस पर उसका पूरा परिवार फक्र करता है क्या बुरहान वानी की बहन उनके पिता उनकी माता फक्र करते?

आशा करते हैं अब आप तुलना नहीं करेंगे वन्नकम

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ashok

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गाँव का बाशिंदा, पेशे से पत्रकार, अथातो घुमक्कड़...