नाकामियों का सबूत : बुल्डोजर–तंत्र

बीते कुछ समय से बर्बरता को उपलब्धि के रूप में पेश किया जा रहा है। जिसका हालिया उदाहरण राजस्थान की गहलोत सरकार ने प्रस्तुत किया है। जयपुर में पेपर लीक मामले के आरोपी भूपेंद्र सारण के घर और कोचिंग सेंटर को सत्ता ने नेस्तनाबूद कर दिया। लेकिन इस सामूहिक सजा का प्रावधान कानून की कौनसी क़िताब में किया हुआ है? क्या विधि–विधान की बातें सिर्फ हवा–हवाई हैं?

बुलडोजर तंत्र देश भर में कैंसर की तरह फैल रहा है। सरकार और समाज अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए इस मशीन का सहारा ले रहे हैं। गहलोत सरकार के शासनकाल में पिछली कई परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं। जिसके कारण युवा पीढ़ी सहित राजस्थान की जनता में आक्रोश था। सरकार ने बुलडोजर का पैंतरा फेंक इस आक्रोश को कम करने की कोशिश की है।

मुख्यमंत्री राजस्थान अशोक गहलोत।

जमहूरियत में जनता जनार्दन होती है। इसे लुभाने के लिए सत्तालोभी तरह–तरह के हथकंडे आजमाते रहते हैं। उसी हथकंडों की फेहरिस्त में एक है बुलडोजर!

घरों पर बुल्डोजर चलाने की शुरुआत कहां से हुई ? इसका तो पता नहीं लेकिन बुल्डोजर को प्रसिद्धि उत्तर प्रदेश में मिली। उसी का नतीजा है यूपी के सीएम को बाबा बुल्डोजर के उपनाम से संबोधित करना। (ये अलग बात है कि योगी जी ने इसे अपनी छवि को मजबूत करने के लिए काम में ले लिया।)

बुल्डोजर के इस्तेमाल पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि ये डर फैलाने की तरकीब है। जो कि गैर कानूनी है। नागरिकता कानून के खिलाफ देश भर से प्रतिक्रियाएं आई थीं। उत्तर प्रदेश में सरकार ने उन प्रतिक्रियाओं के खिलाफ अलग तरह का रवैया अख्तियार किया। कई अल्पसंख्यक नागरिकों के आशियानों को ढ़हा दिया। जेएनयू की स्टूडेंट आफरीन का घर उन्हीं में से एक था। प्रयागराज, कानपुर और सहारनपुर जैसे कई शहरों में एक खास धार्मिक पहचान वालों के घरों को गिराया गया।

यह गैर कानूनी कृत्य केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहा। मध्यप्रदेश सहित कई बीजेपी शासित राज्य इस भोंडी प्रतिस्पर्धा में कूद पड़े। हालांकि मकसद वही रहा, डर फैलाने का, तुष्टिकरण का। मध्यप्रदेश में वर्ष 2022 के अप्रैल महीने में रामनवमी के मौके पर दो धड़ों में टकराव हो जाता है। वहां पर कई मुसलमानों की दुकानों को, घरों को जमींदोज कर दिया। इसमें 60 वर्षीय हसीना फखरू का घर भी शामिल था। हसीना के घर को भारत सरकार की एक योजना के तहत् बनाया गया था।

बहुसंख्यक जनता को संदेश दिया गया कि देखो कैसे हम अल्पसंख्यकों को दबाते हैं। बिना वैधानिक खानापूर्ति किए बुल्डोजर तान देते हैं। न्यायालय के निर्णय का इंतज़ार नहीं करते हैं।

उत्तर प्रदेश की सरकार ने कानून व्यवस्था के मसले पर अपनी छवि मजबूत करने के लिए भी इस मशीन का खूब इस्तेमाल किया। इस मशीन से काम बाज नहीं आने पर इंसान को ठोक दिया जाता था। बिना किसी जुर्म को साबित किए आरोपी को सजा देने का चलन खतरनाक है।

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सौजन्य - आज तक. इस वीडियो में गौर करने वाली चीज़ है लोगों की तालियां...वाहवाही।

देश के संविधान का अनुच्छेद 22 व्यक्ति को कानूनी संरक्षण देता है। बुल्डोजर इस संविधान का मखौल उड़ाता है।

यूपी में कई अपराधियों के घरों को तोड़ दिया। जनता में खूब वाहवाही लूटी। लेकिन उस शपथ का क्या जो मुख्यमंत्री ने ली थी। मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा व निष्ठा रखूंगा।

बुल्डोजर की गूंज को अब हर नाकामी को छुपाने के लिए बजाई जा रही है। कुछ दिन पहले एमपी के रीवा जिले से एक वीडियो सामने आया, जिसमें एक दरिंदा एक लड़की के साथ मारपीट कर रहा है। लातों और घुसों से लड़की बेहोश हो जाती है। वीडियो कुछ ही समय में सोशल मीडिया पर फैल जाता है।

ये दरिंदा समाज और कानून व्यवस्था की असफलता का प्रतीक था। लेकिन असफलता को स्वीकार किए बिना आरोपी का घर गिरा कर वाहवाही लूट ली। उस दरिंदे की बहन का क्या कसूर था। बूढ़े मां बाप का क्या कसूर था। क्या भारत में सामूहिक सजा का कोई प्रावधान है?

आपको हैदराबाद की वो घटना याद होगी, जिसमें एक बहन को मार दिया था। पुलिस ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए चार युवकों को ठोक दिया। जनता ने पुलिस वालों पर फूल बरसाए, दर्द और मातम को भूल खुशियां मनाई पर न्यायिक जांच में उन चारों युवकों को बेकसूर बताया। इसलिए न्याय का रास्ता तो जरूरी है।

न्यायपालिका के लिए ये समय आत्मचिंतन का है, खुद के अंदर झांकने का है। जनता का देरी से मिल रहे तथाकथित न्याय से भरोसा उठने लगा है। अगर बुल्डोजर तंत्र सही है तो न्यायालय नाम की दुकान बंद कर देना चाहिए।

इस बदलाव में सबसे अहम है लोग की प्रतिक्रिया। इन्हीं लोगों को आकर्षित करने के लिए ये नेता कभी बुल्डोजर बाबा तो कभी बुल्डोजर मामा बन जाते हैं। यूपी में हुए विधानसभा चुनाव के समय बीजेपी के सांसद निरहुआ ने गाना गाया था बाबा का बुल्डोजर नाम से। ऐसे ही एक और महिला ने जीत गया बाबा बुल्डोजर शीर्षक के साथ गाना गाया। लोगों ने खूब पसंद किया।

योगी ने बुल्डोजर बाबा की पदवी को बड़े सम्मान से स्वीकार किया। वो हेलीकॉप्टर में एक पत्रकार को अपनी रैली में आए बुल्डोजर दिखा कर गर्वित होते हैं। गुजरात में एक चुनावी रैली के दौरान बुल्डोजर का जिक्र करते हैं तो वहां मौजूद जन समूह तालियां पीटने लगता है। ये खतरनाक संकेत हैं।

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गाँव का बाशिंदा, पेशे से पत्रकार, अथातो घुमक्कड़...