“काँटों को मत निकाल चमन से ओ बाग़बाँ; ये भी गुलों के साथ पले हैं बहार में”

एक मायने में हम सब विदेशी हैं। क्योंकि हम सभी के पूर्वज संभवतः अफ्रीका से आए थे। अगर अंग्रेजों की ‘बांटो और राज करो’ की नीति का अनुसरण करते हुए, आज भी हम मुगलों को विदेश साबित करते रहेंगे तो हिंदुस्तान का कोई फायदा नहीं होगा।

हिंदुस्तान एक समुद्र की तरह था। जिसमें कई नदियां आकर मिलती थी। ऐसी ही नदियों में शामिल थे–आर्य, इंडो–ग्रीक, शक, कुषाण और हूण। इन जनजातियों के पास पहले से कोई व्यवस्थित धर्म नहीं था। इसलिए वे सभी अपने कुछ रीति–रिवाजों के साथ हिंदुस्तानी लोगों में मिल गए।

मुगलों के पास एक स्थापित धर्म था। तलवार के दम पर धर्म का प्रसार नहीं हो सकता है। इसलिए मुगल भारतीयों का इस्लामीकरण नहीं कर सके। लेकिन मुगलों का हिंदुस्तानीकरण हो गया।

आज भी दक्षिण एशिया का इस्लाम विश्व के अन्य भागों की तुलना में अलग हैं।

मैं मुगलों को हरगिज विदेशी नहीं मानता–

गंगी–यमुनी तहज़ीब का निर्माण कोई एक दिन में नहीं हुआ है। मुगलों के हिंदुस्तानी होने का सबूत यह तहजीब है। जिसके अनुयायियों में इस देश के राष्ट्रपिता समेत कई लोग शामिल हैं।

इस समन्वित संस्कृति का नमूना आप स्थापत्य कला में देख सकते हैं। तमाम शासकों द्वारा बनाई गई इमारतों में हिंदू व इस्लामिक शैली आपस में मिल रही थी।

मुगल स्थापत्य का एक बेहतरीन उदाहरण–हुमायूं का मकबरा। तस्वीर आपा हीज खिचयोडी है सा।

आज भारतीय पर्यटन का युवा चेहरा मुगल काल में बने स्मारक हैं। भारत के लिए विदेशी आय सहित ‘सॉफ्ट पावर’ जैसे कई आयामों को ये इमारतें समेटती है।

हिंदुस्तान के ऐसे ही ‘सॉफ्ट पावर’ को देखने के लिए पाकिस्तानी सिनेमा की एक फिल्म है–‘खुदा के लिए’ देखिए।

अगर ताजमहल आपका हैं तो फिर इंडिया में क्यों?

यह सांप्रदायिकता अंग्रजों की उपज है। मुगल काल के तमाम शासकों को देखिए प्रमुख पदों पर हिंदू आसीन रहे हैं। धर्म की अनुपालना व्यक्तिगत विषय था। अकबर ने स्वयं मूछ रखी थी। उनकी पत्नी के लिए मंदिर बनवाया था। इसलिए उन शासकों ने उस समय के हिंदुस्तानवासियों के दिलों पर राज किया था।

अकबर के नवरत्नों को देखिए क्या उसमें हिंदू नहीं थे? उन्हीं नवरत्नों में से एक थे बीरबल। अकबर और बीरबल के किस्सों की बाल–पत्रिकाएं (कॉमिक्स) बच्चों के बचपन का साथी होती है।

राजस्थान के राजपूत शासकों के साथ मुगलों का संबंध संघर्ष के साथ पारिवारिक भी था।

यह संघर्ष केंद्रीय और क्षेत्रीय शक्ति के मध्य होने वाला संघर्ष था ना कि धर्म के आधार पर। राणा प्रताप से युद्ध के समय मुगल सेना का नेतृत्व राजा मानसिंह कर रहे थे।

ऐसे ही मुगलों के द्वारा संस्कृत भाषा को भी बढ़ावा दिया गया था। अकबर ने अनुवाद विभाग की स्थापना की थी। दाराशिकोह जो स्वयं संस्कृत का अच्छा विद्वान था, बनारस के पंडितों से 52 उपनिषदों का अनुवाद करवाया था।

अकबर ने हिंदुस्तान को पंद्रह प्रांतों में बांटा था। यह राष्ट्र के एकीकरण की ओर एक कदम माना जाता है।

मुगलों के द्वारा शासन फरगना या समरकंद से नहीं चलाया जाता था। उनके द्वारा कमाया हुआ सारा धन इसी सरजमीं पर रहा।

जब अंग्रेजों से महासंग्राम चल रहा था तब सभी क्रांतिकारी मुगल बादशाह की ओर जा रहे थे। ‘जफर’ के शेर का एक–एक शब्द क्रांति की लौह को तीव्र कर रहा था। जब उन्हें रंगून भेज दिया था तब उन्होंने अपनी मातृभूमि के प्यार के लिए कहा था–

कितना है बद-नसीब 'ज़फ़र' दफ़्न के लिए दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में”।

इतिहास की घटना को वर्तमान के चश्मे से नहीं देखना चाहिए। औरंगजेब के ऊपर कट्टरता का आरोप लगाया जाता है लेकिन क्या आपने उस समय के विश्व के अन्य राजाओं को पढ़ा। औरंगजेब उस समय का उत्पाद था।

असल में मुगलों को विदेशी साबित करने का मतलब गंगी–जमुनी तहज़ीब को अस्वीकार करना है, अबुल फ़ज़ल और मलिक मोहम्मद जायसी जैसे सूफी संतों की आवाज को दबाना है। ‘फूलवालों के जुलूस’ को रोकना है।

राष्ट्र राज्य आधुनिक युग की परिकल्पना है। इससे यह तो समझ सकते हैं कि मुगल देशद्रोही तो नहीं ही हैं। राष्ट्र एक भाव है, लोगों के बीच जुड़ाव का भाव। कई प्रकार के भाव होते हैं यह शासक पर निर्भर करता है कि वह कौनसे भाव पर बल दे।

अहमदनगर फोर्ट जेल में बैठा, गांधी का एक सिपाही (जवाहर लाल नेहरू) जो संभवत: प्रथम सेवक के दावेदारों में से एक था। एक पुस्तक लिखता है जिसमें सम्राट अशोक, गुप्त शासकों, मराठा देशमुख शिवाजी सिसोदिया वंश के राणा सांगा, राणा उदयसिंह, राणा प्रताप को याद करता है। वो मुगल शासकों को भी याद करता है।

एक लोकतंत्र के सेवक को अपने अतीत की सारी विरासत को स्वीकार करते हुए शासन चलाना चाहिए।

मुगल भारत छोड़ कर नहीं गए थे उनके वंशज यहीं हिंदुस्तान में होंगे। क्या उनके पूर्वजों को विदेशी साबित कर आप हिंदुस्तान को विश्व गुरु बना दोगे?


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गाँव का बाशिंदा, पेशे से पत्रकार, अथातो घुमक्कड़...